Dhokebaaz Dost Shayari
दोस्ती का रिश्ता हमारी ज़िन्दगी के सबसे खूबसूरत रिश्तों में से एक होता है। लेकिन जब कोई दोस्त भरोसे को तोड़ देता है, तो उसका दर्द अलग ही होता है। इस दर्द को शब्दों में बयां करने का सबसे अच्छा तरीका Dhokebaaz Dost Shayari है। इस लेख में हम आपके लिए अलग–अलग टॉपिक पर Dhokebaaz Dost Shayari लाए हैं, ताकि आप अपने जज़्बात को सही तरह से बयां कर सकें।
Dhokebaaz Dost Shayari – दिल को छू लेने वाली पंक्तियाँ
दोस्ती में भरोसा सबसे बड़ा तोहफ़ा होता है,
धोखा देकर तुमने वो तोहफ़ा ही तोड़ दिया।
हंसी में छुपा लिया था हमने हर ग़म,
तुमने ही किया हमें सबसे बड़ा दर्द का संगम।
दिल से किया भरोसा तुम पर,
अब हर शख़्स पर शक होता है।
तुमने तो अपने मतलब के लिए साथ निभाया,
हमने तो हर हाल में तुम्हें दोस्त माना।
दोस्ती के नाम पर सिर्फ़ स्वार्थ निकला,
धोका देकर तुमने इंसानियत तक को शर्मसार किया।
मुस्कराहट थी जो तुम्हारी याद में आती थी,
अब वही यादें आँसुओं में बदल गईं।
क्या गुनाह था हमारा कि ऐसे दोस्त मिले,
जो दोस्ती के नाम पर धोका ही दे गए।
सच्ची दोस्ती का मतलब तुमसे पूछा नहीं जाता,
क्योंकि तुम तो मतलब के रिश्तों में ही माहिर थे।
टूटे दिल की आवाज़ कोई नहीं सुनता,
पर धोकेबाज़ दोस्त उसे हमेशा याद रहता।
हमारी दोस्ती थी सोने जैसी,
तुम्हारा धोका निकला काँटे जैसा।
Dhokebaaz Dost Shayari 2 Line
भरोसा कर बैठा था मैं हर मुस्कान पर,
धोका मिला मुझे अपने ही जान पर।
दोस्ती निभाना हर किसी के बस की नहीं,
वरना धोका कोई देता ही नहीं।
दोस्ती में खंजर भी हँसकर लगाया तुमने,
ये जख़्म उम्रभर नहीं भरेगा।
दोस्ती में सच्चाई होनी चाहिए थी,
मगर तुमने झूठ और धोके को अपनाया।
वो मुस्कान अब यादों में ही रह गई,
जब से धोकेबाज़ दोस्ती में आ गई।
खुदगर्ज़ी का खेल तुम अच्छे से खेल गए,
मैं तो दोस्ती में सच्चाई हार गया।
दोस्ती की मिसाल देते थे हम तुम्हें,
तुमने तो बदनाम कर दिया इस रिश्ते को।
वक़्त ने दिखा दी सबकी औक़ात,
धोकेबाज़ दोस्त ने भी अपना चेहरा दिखा दिया।
किसी का दिल तोड़ना आसान होता है,
मगर उसका भरोसा फिर से जोड़ना नहीं।
अब दोस्ती से डर लगता है हमें,
क्योंकि धोकेबाज़ दोस्त हर जगह हैं।
बेवफ़ा दोस्त शायरी
वक़्त के साथ सब बदल जाते हैं,
बेवफ़ा दोस्त तो पल में रंग दिखा जाते हैं।
सच्ची दोस्ती के मायने तुम क्या जानो,
बेवफ़ा होकर भी तुम हँसी लुटाते हो।
रिश्ते निभाने के लिए दिल चाहिए,
बेवफ़ा लोग तो सिर्फ़ स्वार्थ निभाते हैं।
दोस्ती को तुमने मज़ाक बना दिया,
बेवफ़ाई को आदत बना लिया।
नफ़रत नहीं करती अब तुम्हारी बेवफ़ाई से,
बस दुआ है कि किसी और को ऐसा दर्द न दो।
तुमने दोस्ती को खेल समझ लिया,
मगर खेल में हार हम गए।
झूठ के पर्दे में सच्चाई छुपा नहीं सकती,
बेवफ़ा दोस्ती एक दिन सामने आ ही जाती है।
जब दोस्त ही दुश्मन बन जाए,
तो दुनिया का हर रिश्ता डराने लगता है।
दर्द का सबब तुम बन गए,
जो दोस्त थे वही ग़म बन गए।
तुम्हारी बेवफ़ाई ने हमें ये सिखा दिया,
कि सच्ची दोस्ती में भी शक़ करना ज़रूरी है।
धोकेबाज़ दोस्त पर लंबी शायरी
तुम्हारे चेहरे पर मुस्कान थी,
दिल में मगर चाल थी।
दोस्ती निभाने का नाम लेकर,
तुमने दिल में डाल दी जाल थी।
जिसको अपनी जान से बढ़कर माना,
उसी ने हमारी पीठ पर खंजर चलाया।
अब किसे दोस्त कहें, किसे यार,
सब धोकेबाज़ों का मेला सजाया।
हमारी सच्चाई को तुम झूठ कहते रहे,
अपनी झूठी दोस्ती को सच कहते रहे।
मगर वक़्त सब दिखा देता है,
अब हम तुम्हें धोकेबाज़ कहते रहे।
धोकेबाज़ दोस्त पर दर्द भरी शायरी
जिस पर यकीन था वही बेवफ़ा निकला,
दोस्ती के नाम पर दिल का सौदा कर गया।
हंसते चेहरे के पीछे छिपा था धोखा,
हम समझ न पाए, वो खेल खेल गया।
चाहा था उसे भाई बनाना,
उसने ही हमारे अरमानों को तोड़ दिया।
धोकेबाज़ दोस्त याद बन कर रह गया,
हर हंसी में अब दर्द दे गया।
हमने दिल में उसकी इज़्ज़त रखी,
उसने पीछे से वार कर दी।
जो साया बनकर साथ चलता था,
वो धूप आते ही गायब हो गया।
दोस्ती की राह में हमने खुद को खो दिया,
उसने अपना फर्ज़ तक भूल दिया।
भरोसा करने का यही अंजाम निकला,
वो हमें बेगाना बना गया।
Dhokebaaz Dost Shayari
यार समझा था जिसको, वो अदाकार निकला,
दोस्ती के मंच पर बड़ा ही खिलाड़ी निकला।
साथ देने का वादा था,
पर उसने साथ छूटते ही दिल तोड़ा।
यारी का नाम लेकर छल किया,
हमने उसको दिल से चाहा, उसने खेल किया।
यार के धोखे से बड़ा कोई ज़ख्म नहीं,
जो दिखता है वही सच्चा नहीं।
हमने चाहा था याराना,
उसने निभाई बस कहानी पुरानी।
यारी के क़िस्से में ग़लत मोड़ आया,
उसका सच सामने आया।
भरोसे की डोर टूट गई,
यारी के नाम पर यादें रह गईं।
जिसे अपना समझा था,
उसने ही तन्हा छोड़ दिया।
धोकेबाज़ दोस्त पर तंज भरी Shayari
दोस्ती की किताब में धोखे का सबक किसने लिखा,
शायद उसी ने जो हमें छोड़ गया।
जो खुद को सच्चा कहता था,
उसने ही झूठ का खेल रचाया।
तुम्हें दोस्त कहना हमारी भूल थी,
वरना धोखे की जगह न होती।
दोस्ती की मूरत, पर धोखे का दिल,
तुमसे बड़ा कोई खिलवाड़ नहीं।
हमारे नाम की वफ़ा को कलंक लगा दिया,
धोकेबाज़ी का रंग चढ़ा दिया।
चेहरे पर मासूमियत, दिल में ज़हर,
ऐसे दोस्त ही दुनिया को डराते हैं।
तुमसे दोस्ती कर गलती कर बैठा,
अब हर शख्स पर शक करता हूँ।
तुम्हारे जैसा दोस्त दुश्मन भी न मिले,
कम से कम वो सीधा वार करेगा।
Dhokebaaz Dost पर स्टेटस शायरी
स्टेटस में क्या लिखूं,
दोस्ती में धोखा खा चुका हूँ।
जो दोस्त था वही दुश्मन निकला,
अब हर चेहरे पर नकाब दिखता है।
दोस्ती की दुनिया में भरोसा कम है,
हर कोई अपना मतलब देखता है।
धोकेबाज़ दोस्त को याद करके भी,
अब आंखें नम नहीं होतीं।
जिस पर भरोसा था उसने ही लूट लिया,
अब किसी पर विश्वास नहीं होता।
दोस्तों की भीड़ में अकेला रह गया हूँ,
धोकेबाज़ी ने सब छीन लिया।
हमने सिख लिया अब पहचानना,
कौन अपना है कौन धोखेबाज़।
दोस्ती का नाम अब भी प्यारा है,
पर धोखे की यादें कड़वी हैं।
दोस्ती में धोखे पर ग़ज़लनुमा शायरी
उसने दोस्ती की राह में कांटे बो दिए,
हमने फूल समझ कर उन्हें चुन लिए।
दोस्ती के शहर में धोखे का घर मिला,
हम हर मोड़ पर खुद को तनहा पाया।
वो हमदर्द बनकर आया,
मगर हर दर्द वही दे गया।
दोस्ती की गलियों में अब सन्नाटा है,
धोखे की गूंज हर तरफ़ है।
वो यार नहीं, साया था बस,
धूप छंटते ही ग़ायब हो गया।
हर ग़ज़ल में अब दर्द उसका उतर आया,
वो दोस्ती का सबसे कड़वा पैग़ाम दे गया।
भरोसा कर के हमने ग़लत किया,
अब हर इंसान से दूर रहते हैं।
धोकेबाज़ी ने हमें मज़बूत बना दिया,
अब दिल में सिर्फ़ खुदा है।
धोकेबाज़ दोस्त पर 4 लाइन शायरी
जिस पर था यकीन वही बेवफ़ा निकला,
दोस्ती के नाम पर ज़ख्म गहरा निकला,
हमने समझा उसे अपना सहारा,
वो बन गया दर्द का किनारा।
दोस्ती की डोर इतनी नाज़ुक क्यों थी,
धोखे की हवा से ही टूट गई थी,
हमने दिल में रखी थी उसकी इज़्ज़त,
उसने ही कर दी हमें बेइज़्ज़त।
धोकेबाज़ दोस्त पर छोटी 2-लाइन शायरी
यकीन टूटा है अब किसी पर नहीं होगा,
दोस्ती का नाम भी अब डराता है।
धोकेबाज़ दोस्त की यही निशानी है,
हंस कर बात करे, पीछे वार कर जाए।
हम मुस्कुरा कर दर्द छुपाते हैं,
धोखे की यादें रोज़ सताती हैं।
दोस्ती में धोखा खाया हमने,
अब आंखों में पानी नहीं आता।
तुम्हारे जैसे दोस्तों से दूर रहना बेहतर है,
कम से कम ज़ख्म न होंगे।
वफ़ा की उम्मीद थी,
मगर धोखे की सज़ा मिली।
दोस्ती निभाना सीखा हमने,
पर भरोसा करना भूल गए।
धोकेबाज़ दोस्त को भूल जाना ही अच्छा,
वरना दर्द हर रोज़ जागेगा।
दोस्ती के शहर में तन्हा रहना बेहतर,
धोकेबाज़ी की गली में न जाना बेहतर।
भरोसा टूटे तो दिल भी टूटता है,
धोकेबाज़ दोस्त यही सिखा जाता है।
निष्कर्ष – Conclusion
धोकेबाज़ दोस्त का दर्द बहुत गहरा होता है, और उसे शब्दों में बयां करना आसान नहीं। धोकेबाज़ दोस्त शायरी एक ऐसा माध्यम है जिससे आप अपने दिल के जज़्बात को सामने ला सकते हैं। ऊपर दी गई शायरियाँ आपके दिल को राहत देंगी और आपके दर्द को आवाज़ देंगी।
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